1. दिसम्बर 2024 / 0 Comments जगत की रीत चेतन आत्मोवाच 18 :-पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत lझूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll चेतन कौशल "नूरपुरी"