4. दिसम्बर 2024 / 0 Comments मिट्टी का खिलौना चेतन आत्मोवाच 30 :-मिट्टी का खिलौना है तू, पर ये तो भूल गया है lहड्डी, लकड़ी, कोयला यहाँ, मनः सब धूल बन गया है llचेतन कौशल "नूरपुरी"