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चेतन आत्मोवाच 53 :-

आग से खेलता है क्यों? वह रख बनाया करती है l
तू इर्ष्या करता है क्यों ? मनः हँसते हुए को रुलाया करती है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"