10. दिसम्बर 2024 / 0 Comments हित की बात चेतन आत्मोवाच 56 :-सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है lतेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है llचेतन कौशल "नूरपुरी"