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चेतन आत्मोवाच 58 :-

बढ़ा दिए तूने कदम तो सहन कर शूल-अंगार भी l
मन बड़ा अड़ियल घोड़ा मनः भर थोड़ी सी हुंकार भी ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"