11. दिसम्बर 2024 / 0 Comments मेहनत चेतन आत्मोवाच 65 :-कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में lअभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में llचेतन कौशल "नूरपुरी"