11. दिसम्बर 2024 / 0 Comments आग चेतन आत्मोवाच 68 :-तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग lजिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग llचेतन कौशल "नूरपुरी"