12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments बुरे दिन चेतन आत्मोवाच 71 :-गीदड़ की मौत आती है, उसे गाँव की राह भाती है lबुरे दिन आते हैं, मनः बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है llचेतन कौशल "नूरपुरी"
11. दिसम्बर 2024 / 0 Comments जीना-मरना चेतन आत्मोवाच 70 :-गिरती बूंद नदी में बह जाती है संग जलधार lजीना-मरना खेल है, मनः नहीं जीत, यहाँ न किसी की हार llचेतन कौशल "नूरपुरी"
11. दिसम्बर 2024 / 0 Comments दिल से दिल चेतन आत्मोवाच 69 :-रात काली कट जाती है, सूर्य ले आता है सवेरा lदिल से दिल मिलता है, मनः छंट जाता है गम का अन्धेरा llचेतन कौशल "नूरपुरी"
11. दिसम्बर 2024 / 0 Comments आग चेतन आत्मोवाच 68 :-तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग lजिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग llचेतन कौशल "नूरपुरी"
11. दिसम्बर 2024 / 0 Comments परिश्रम बिना चेतन आत्मोवाच 67 :-खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है lपरिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है llचेतन कौशल "नूरपुरी"