मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ

पुरालेख (page 153 of 164)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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क्रांतिकारी

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दैनिक जागरण 13 जून 2007 

पल भर नहीं जो कर्महीन रहता
कुछ न कुछ करता रहता है
रखता अज्ञान शोषण अत्याचार पर कड़ी नजर
दहकते अंगारों पर बे खबर चलता है
राह में मुसीबतें आएं चाहे जितनी
वह नित आगे बढ़ता जाता है
मौत भी सामने क्यों न आए
वह खुशी से निज कण्ठ लगाता है
क्रांति कभी आ नहीं सकती
है यह तो उसमें दम नहीं
चाहे क्रांति होती है बलवान बहुत
पर देखा क्रांतिकारी भी कुछ कम नहीं


चेतन कौशल "नूरपुरी"

सीने में

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दैनिक जागरण 27 मई 2007 

कोई चिंगारी शोला नहीं बन सकती
ऐसा उसमें दम नहीं
शोला चिंगारी से बनता है
पर चिंगारी शोले से नहीं
तिल भर चिंगारी में इतना दम है
पल भर में उससे शोला बन जाता है
शोला तो दहकता अंगारा है
उससे सब कुछ राख हो जाता है
सीने में जिसके आग दवी हो
दवा ही उसको रहने दो
पंखा न उसे करना कभी
कहीं शोला न बन जाए वो


चेतन कौशल "नूरपुरी"

भूजल दोहन

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दैनिक जागरण 18 मई 2007

बूंद बूंद से होता है भूजल पुनर्भरण
सुनियोजित करना है भूजल दोहन व्यवहार
सुरक्षित रखना है शुद्ध भूजल भंडार
सुखी रहेगा मनमोहन संसार
भूजल धरती की है अमूल्य सम्पत्ति
व्यर्थ दोहन है आने वाली विपत्ति
भूजल धरती का करता है श्रृंगार
अनावश्यक दोहन सरासर है निराधार


चेतन कौशल "नूरपुरी"

कविता

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दैनिक जागरण 15 मई 2007 

वीरों की तू पोषणहारी
तू है कविता कवि की प्यारी
देखा है मैंने तुझे सबके साथ
पर वे सब तुझे नहीं लगाते हाथ
अत्याचारी की तू हत्यारी
तू है कविता कवि की प्यारी
जिसने किया जब नीचता को सलाम

तूने किया उसका काम तमाम
दुराचारी की तू संहारणहारी
तू है कविता कवि की प्यारी

चेतन कौशल "नूरपुरी"

ईर्ष्या घृणा

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दैनिक जागरण 9 मई 2007

आग से खेल रहा क्यों?
वह राख बनाया करती है
ईर्ष्या से भी प्रेम कर रहा
हंसते को रुलाया करती है
घृणा कर नीच विचारों से
मगर इन्सान से नहीं
करके ईर्ष्या घृणा इन्सान से
रह सकता तू सुख शांति से नहीं


चेतन कौशल "नूरपुरी"
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