मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ

पुरालेख (page 154 of 164)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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कोटि कोटि प्रणाम

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दैनिक जागरण 3 मई 2007

मातृ भूमि तुझको
करूं मैं क्या अर्पण
साहस नहीं मुझमें
बिन देरी करूं मैं आत्म समर्पण
बस कार्य के सिवाय
फल की ओर न हो मेरा ध्यान
सेवा की हो डगर अपनी
और नित हो तुझे कोटि कोटि मेरा प्रणाम


चेतन कौशल "नूरपुरी"

स्नान गृह में

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दैनिक जागरण 29 अप्रैल 2007 

दाढ़ी बना ले चाहे तू दांत साफ कर ले
पर भाई चल पहले नल बंद कर दे
भूजल अनावश्यक बाहर आ रहा
भूजल स्तर नीचे जा रहा
अब फव्वारे से या टब में नहीं है नहाना
बाल्टी भर पानी से ठीक है नहाना
जब बाल्टी भर पानी से नहाया जा सके
दो बाल्टी भर पानी बहाना है क्यों
भूजल संरक्षण अभियान सफल बनाया जा सके
अनावश्यक दोहन करके जल संकट बनाना है क्यों
साबुन या धोने का पाउडर पहले है लगाना
फिर कपड़ा भली प्रकार है धोना
अनावश्यक जल नल से नहीं है बहाना
ऐसे कल का जल संरक्षण नहीं है होना
नल बंद करके साबुन है लगाना
फिर साबुन धोने को नल है चलाना
ऐसी नहीं करनी है नादानी
कहना पड़े कि अब नहीं रहा है पानी


चेतन कौशल "नूरपुरी"

समय का स्वभाव

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दैनिक जागरण 24 अप्रैल 2007

समय तो बहता जल है
वह बहता जाता गाता है
तू संभाल पलपल की करता चल
जीवन पलपल से बन पाता है
गोली छूटती है बन्दूक से
फिर कभी नहीं आती है हाथ
सकल दिवस जाता पलपल में
घड़ी भी नहीं देती है साथ


चेतन कौशल "नूरपुरी"

आलस्य

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दैनिक जागरण 18 अप्रैल 2007 

प्राप्त वस्तु से संतुष्ट हुआ
तूने मेहनत करना छोड़ा क्यों
कोई वस्तु रहेगी कब तक पास तेरे
कर्म से तूने नाता तोड़ा क्यों
आलस्य में क्यों बैठ गया
तू अपने हाथपांव पसार
मिट्टी का खिलौना मिट्टी में मिला दे
देख मेहनत का भी चमत्कार
आलसी नहीं आलस्य भगा दे
तू अगल बगल से दूर
घोड़ा तन है तेरा
चाबुक मेहनत मार भरपूर
लगेगी भूख भागेगा सरपट
अपनी ही मंजिल ओर
चाहे कठिन है राह तेरी अपनी
पाएगा तू जरूर मंजिल छोर


चेतन कौशल "नूरपुरी"

मेहनत

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अमर उजाला 4 अप्रैल 2007

कली से बनते हैं फूल
खिलते हैं फूल कांटों में
अभ्यास बनती है मेहनत
रहती नहीं है मेहनत बातों में
खोज जिसे होती है
मंजिल पा ही लेता है
बिना परिश्रम किए जो ढूंढता है
अपना समय नष्ट कर लेता है
मेहनत से मिलता है मान
मेहनत से बनती है शान
पहचान बनाती मेहनत अपनी
मेहनत से मिलता है भगवान

चेतन कौशल "नूरपुरी"
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