मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ

पुरालेख (page 155 of 164)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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धौलाधार का शृंगार

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दैनिक जागरण 4 अप्रैल 2007 

आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने
शुष्क मौसम से पाई मुक्ति धौलाधार ने
नाले झरने नदियां सब फिर बहने लगे हैं
ताल बावडि़यां कूप जल से भरने लगे हैं
धरती खेत खलिहानों को मिलने लगा है पानी
रिमझिम रिमझिम बरसने लगा है पानी
बर्फ से किया है फिर श्रृंगार धौलाधार ने
आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने


चेतन कौशल "नूरपुरी"

सुख शांति का रास्ता

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दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007

जातियां होती हैं जीव जंतुओं की
मनुष्य नर नारी की नहीं
करके जातिगत बंटवारा समाज का
पा सकता तू सुख शांति नहीं
कौन सी जाति क्या है जाति
इससे नहीं है तेरा कोई वास्ता
हर प्राणी है रूप ईश्वर का
सुख शांति का और न कोई रास्ता


चेतन कौशल "नूरपुरी"

गुरु का निरादर

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दैनिक जागरण 16 मार्च 2007 

जब मन कर्म वाणी से
मैं गुरु का अनादर करता हूं
तब मैं उनसे सुस्नेह की
सयंमी होते हैं गुरु सदा
करते हैं शिष्य हित की बात
मैं शिष्य हूं मन चला
करता हूँ अपने मन की बात
मन की बातों में रम कर
जब मैं गुरु को भूल जाता हूं
खाता हूं तब ठोकरें दरदर
गुरु से दूर हो जाता हूं


चेतन कौशल "नूरपुरी"

छात्रों की व्यथा

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दैनिक जागरण 10 मार्च 2007

हमें पर्चियां पहुंचा कर
परीक्षा में नकल को न करो हवा
अमूल्य जीवन भ्रष्ट हो जाएगा
हमारी अयोग्यता को न करो हवा
नकल से परीक्षा में हम चाहे पास हो जाएंगे
ऐसे तो हम कभी योग्य नही बन पाएंगे
आगे योग्य नागरिक तुम्हें मिलेंगे कैसे
योग्य डाक्टर इंजीनियर तुम्हें मिलेंगे कैसे
हमारे इन अमूल्य जीवन पलों को
नकल की तुम न करो हवा
हमें पर्चियां पहुंचा कर
परीक्षा को न करो हवा


चेतन कौशल "नूरपुरी"

जागो धरती नन्दन

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दैनिक जागरण 2 मार्च 2007 

जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
कांप रही धरती गिर न जाए आसमान
पीडि़त राष्ट्र निज नेत्र खोल जरा
त्रस्त मानवता रक्त रंजित हो धरा
जमा और मुनाफाखोरों का लगा है मेला
स्वार्थ सिद्धि का पड़ा है घेरा
पल पल लाता कम्पन प्रभंजन जहान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
राम कृष्ण की धरती कर रही पुकार है

उत्तरदायी होकर तू क्यों कर रहा संहार है
असहाय प्राणी देश के क्षुधार्थ मरने को हैं लाचार
छोड़ धन संचयन की लालसा तूने करना है उपकार
सदाचारी को समझे नित मां अपनी प्यारी संतान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान

चेतन कौशल "नूरपुरी"

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