अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आलेख - मानव जीवन दर्शन कश्मीर टाइम्स 28.1.1996
ईश्वर की संरचना प्रकृति जितनी आकर्षक है, वह उतनी विचित्र भी है l जड़-चेतन उसके दो रूप हैं l इनमें पाई जाने वाली विभिन्न वस्तुओं और प्राणियों की अपनी-अपनी जातियां हैं l इन जातियों में मात्र मनुष्य ही प्रगतिशील प्राणी है l वह विवेक का स्वामी है l
गुरु के सान्निध्य में ऐसे किसी प्रगतिशील विद्यार्थी/साधक के लिए, चाहे वह संसारिक विषय हो या अध्यात्मिक, प्रगति–पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहने का उसका अपना प्रयत्न तब तक जारी रहता है जब तक उसे सफलता नहीं मिल जाती l वह कभी नहीं देखता है कि उसने कितनी यात्रा तय कर ली है? वह देखता है, उसकी मंजिल कितनी दूर शेष रह गई है ? वहां तक कब और कैसे पहुंचा जा सकता है ?
संसारिक विकास नश्वर, अल्पकालिक और सदैव दुखदायक विषय है जब कि मानसिक विकास अनश्वर, दीर्घकालिक सर्व सुखदायक तथा शांतिदाता है l
मानसिक विकास करते हुए साधक को सुख तथा शांति प्राप्त होती है l वह अपने योगाभ्यास से कुण्डलिनी जागरण, काया-कल्प, दूर बोध, विचार-सम्प्रेषण, दूरदर्शन आदि जैसे असंख्य गुणों से स्वयं ही संपन्न हो जाता है l इन दैवी गुणों के कारण वह समाज में ईश्वर समान जाना और पहचाना जाता है l वास्तव में किसी साधक के लिए, किसी जनसाधारण द्वारा ऐसा कहना तो दूर सोचना भी सूर्य को दीप दिखाने के समान है l मनुष्य तो मनुष्य है और मात्र मनुष्य ही रहेगा l वह देव या ईश्वर कभी हो नहीं सकता l
कोई दैवी का स्वामी, घमंडी साधक लोगों को तरह-तरह के चमत्कार तो दिखा सकता है पर उनका मन नहीं जीत सकता, उनका प्रेमी नहीं बन सकता l एक सच्चा प्रेमी तो वही महानुभाव हो सकता है जो महर्षि अरविन्द, स्वामी दयानंद जी की तरह अपनी निरंतर साधना और यत्न द्वारा प्रगति-पथ पर अग्रसर होता हुआ आवश्यकता अनुसार परिस्थिति, देश काल, और पात्र देखकर लोक कल्याण करे l स्वामी विवेकानंद जी की तरह अपनी दैवी शक्तियों का सदुपयोग, रक्षा, और उनका सतत वर्धन करते हुए, अपने राष्ट्र का माथा ऊँचा करने के साथ-साथ मानवता मात्र की सेवा करे l
जन साधारण का मन चाहे उसके विकारों या वासनाओं की दलदल में लिप्त रहने के कारण अशांत रहे फिर भी वह एक साधारण भीमराव अम्बेडकर की सच्ची लग्न, विश्वास युक्त अथक प्रयत्न, मेहनत से एक दिन अपना लक्ष्य पाने में सक्षम और समर्थ हो पाता है l डा० भीमराव अम्बेडकर बन जाता है l
महराणा प्रताप जैसे राष्ट्र प्रेमी को अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार के महत्व पूर्ण उद्देश्य
की प्राप्ति के लिए छोटी या बड़ी वस्तु का त्याग और अनगिनत बाधाओं, चुनौतियों और अत्याचारों का सामना भी करना पड़ता है l हंसते हुए उनसे लोहा लेना तथा आगे कदम बढ़ाना ही उसका धर्म है l
दधिची जैसा त्यागी, सत्पुरुष कभी मृत्यु से नहीं डरता है l वह अपने जीवन को दूसरों की वस्तु समझता है l इसी कारण वह संकट काल में किसी जान, परिवार, गाँव, शहर और राष्ट्र की भी रक्षा करता है l आवश्यकता पड़ने पर वह अपने प्राण तक न्योछावर कर देता है l
लाल, बाल, पाल और गाँधी जी के लोक जागरण जैसे किसी जागरण से प्रेरित होकर कोई भी जन साधारण प्रेम-सुस्नेह के वश होकर किसी एक दिन जवाहर, राजेन्द्र पटेल और सुभाष जैसा लोकप्रिय नेता बन पाता है l
निडरता, साहस, विश्वास, लग्न, और कड़ी मेहनत ही एक ऐसी अजेयी जीवन शक्ति है जिससे साधक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आत्मिक शक्तियां प्राप्त करता है l जिस साधक में यह चारों शक्तियां भली प्रकार विकसित हो जाती हैं, वास्तव में विशाल समाज और राष्ट्र अपना उसी का होता है l
अजयी चतुर्वहिनी शक्ति को साधक जीवन में निरंतर क्रियाशील बनाये रखने के लिए उच्च विचार, सादा जीवन तथा कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता बनी रहती है l
अजयी शक्ति साधक के हृदय को शुद्ध रखने से प्राप्त होती है l उसे अपना हृदय शुद्ध रखने के लिए सात्विक गुणों की आवश्यकता पड़ती है l सात्विक गुण उसके विशुद्ध विवेक से प्राप्त होते हैं l विशुद्ध विवेक साधक द्वारा प्रकृति के प्रत्येक कार्य-व्यवहार, वस्तु में ज्ञान खोजने से बनता है - वह ज्ञान पोषक है l
वास्तविक ज्ञान संसार की अल्पकालिक सुख देने वाली वस्तुओं का भोग करने के साथ-साथ उनका तात्विक अर्थ मात्र जानकार साधक को उसके अपने मन से त्याग करने के पश्चात् ही प्राप्त होता है l किसी विषय या विकार में बनी साधक के मन की आसक्ति अज्ञान की जननी होती है – वह उसका ज्ञान ढक देती है l
तात्विक ज्ञान धारण करने वाला साधक सत्पुरुष ही पुरुषार्थी ज्ञानवीर धीर श्रीकृष्ण है l ज्ञान सत्य है और सत्य ही ज्ञान है l
ज्ञानवीर सत्पुरुष जल में कमल के पत्ते के समान प्रकृति में कार्य करता हुआ भी निर्लिप्त रहता है l इसी कारण जन साधारण मनुष्य अपनी विभिन्न दृष्टियों से दैवी गुण सम्पन्न साधक, सत्पुरुष को अपना नायक, रक्षक मार्ग-दर्शक, युग निर्माता, गुरु, दार्शनिक, योगी, सिद्ध, महात्मा और अवतारी पुरुष भी मानते है l शायद वह उनके लिए एक रहस्यमय जीवन होता है l
चेतन कौशल “नूरपुरी”