इच्छा का मूल संकल्प है। संकल्प से ही यज्ञ समुत्पन्न हुए हैं। व्रत-यम-नियम और धर्म ये सब संकल्प से ही उत्पन्न होते हैं। अर्थात इन सब में प्रवुत्ति का आधार संकल्प ही है।
सच्ची विद्या अर्थात् ज्ञान से माया और मोह (अविद्या) का नाश होता है। अच्छे विचारों से संसार का प्रपंच छूटता है। दान देते रहने वाले को दरिद्रता नहीं सताती और सदाचार के पालन से बुराइयां नष्ट हो जाती हैं।