श्रुतियों, स्मृतियों और पुराणों ने जिसकी सराहना की है, जो सबको कल्याण प्रदान करने वाली, परम पवित्र पुण्यदायी और व्यावहारिक है, वही परम्परागत सनातन संस्कृति है।
जो व्यक्ति सम्पत्ति में हर्ष, विपत्ति में दुःख और युद्ध में भीरुता नहीं दिखाता ऐसा व्यक्ति तीनों लोकों में दुर्लभ है और ऐसे विरले पुत्र को कोई भाग्यशाली माता ही जन्म देती है।