मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ

पुरालेख (page 59 of 164)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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सफलता पाने के लिए

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अनमोल वचन :-

काम, क्रोध, लाभ, स्वाद, शृंगार, व्यर्थ की बातों में ध्यान देना, अतिशय निद्रा, शक्ति से ज्यादा सेवा - यह आठ वस्तुएं विद्यार्थियों के लिए त्याज्य हैं। अध्ययन में पूर्णरूप से सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को इन आदतों का त्याग करना चाहिए।

मंगल कारी गाय

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अनमोल वचन :-

गोओ! तुम कृश शरीर वाले व्यक्ति को हृष्ट-पुष्ट कर देती हो एवं तेजोहीन को देखने में सुंदर बना देती हो। इतना ही नहीं, तुम अपने मंगलमय शब्द से हमारे घरों को मंगलमय बना देती हो। इसी से सभाओं में तुम्हारे ही महान् यश का गान होता है।

लोभ से

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अनमोल वचन :-

लोभ से ही क्रोध उत्पन्न होता है, लोभ से ही काम की प्रवृत्ति होती है और लोभ से ही माया, मोह, अभिमान, उदंडता तथा पराधीनता आदि दोष प्रकट होते हैं।

बुरे संग से

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अनमोल वचन :-

गुणी जनों के सानिध्य में ही सद्गुण विकसित होते हैं, बुरे संग से गुण भी दोष में बदल जाते हैं। जैसे नदी का मीठा जल समुद्र के सानिध्य में अपने गुण को खो देता है और खारा हो पीने योग्य नहीं रहता।

देश-काल के विपरीत

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अनमोल वचन :-

गुणी जनों के सानिध्य में ही सद्गुण विकसित होते हैं, बुरे संग से गुण भी दोष में बदल जाते हैं। जैसे नदी का मीठा जल समुद्र के सानिध्य में अपने गुण को खो देता है और खारा हो पीने योग्य नहीं रहता।
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