31. मार्च 2016 / 0 Comments जीवन में बुराई पाने में क्षण भी नहीं लगता है जबकि अच्छा कार्य करने में अपना संपूर्ण जीवन छोटा पड़ जाता है।
31. मार्च 2016 / 0 Comments मनुष्य की शोभा मनुष्यता का व्यवहार करने में ही मनुष्य की शोभा है, वैसेे तो हिंसा का सहारा लेकर बदला पशु भी लिया करते हैं।
31. मार्च 2016 / 0 Comments मानवता विघटन असम्भव है मानवता को विश्व की विभिन्न भाषाओँ में चाहे कुछ भी क्यों न कहा जाए, पर उसका अन्य कोई विकल्प, विघटन नहीं हो सकता।
31. मार्च 2016 / 0 Comments मानवता की रक्षा हेतु दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए, मानवता की रक्षा धार्मिक राजनीति कर सकती है।
31. मार्च 2016 / 0 Comments मानवता की उपेक्षा के कारण विश्व में मानवतावादी राजनीति की उपेक्षा हुई है, आतंकवाद ने जन्म लिया है, बढ़ रहा हैै। आतंकवाद के विरुद्ध विश्व की समस्त शक्तियों को अपना एक सुदृढ़ कार्यतंत्र बनाना होगा ताकि आतंकवाद को मुहं तोड़ उत्तर दिया जा सके।