19. फ़रवरी 2016 सम्भलने का समय अन्न के कण और भजन के क्षण का मोल, मनुष्य तब क्या समझेगा, जब उसके पास संभलने के लिए समय नहीं रहेगा।
19. फ़रवरी 2016 सद्भावना और दुर्भावना सद्भावना और दुर्भावना में मात्र इतना अंतर है, सद्भावना गैर को अपना बनाती है जबकि दुर्भावना से ऐसा नहीं होता है।
19. फ़रवरी 2016 युवा दृष्टि वासुधैव कुटुम्बकम् या बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय का अर्थ युवावर्ग तभी समझ पाएगा, जब उसकी दृश्टि घर-परिवार से ऊँची होकर समाज और विश्व को निहारने में सक्षम हो जाएगी।
19. फ़रवरी 2016 सनातन जीवन पद्धति चेतन विचार :- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करना ही मनुष्य जीवन की सनातन जीवन पद्धति है, होनी चाहिए। इसके बिना उसका जीवन व्यर्थ है।