मानवता सेवा की गतिविधियाँ

श्रेणी: कवितायें (page 2 of 20)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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आत्म-जागरण

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पराई आशा पर जीने वाले!
पराए प्रकाश पर चलने वाले!
पराई मेहनत खाने वाले!
रास्ता छोड़ भटकने वाले!
मिलेगी तुझे कब तक आस?
मिलेगा तुझे कब तक प्रकाश?
मिलेगा तुझे कब तक खाना?
पड़ेगा तुझे कब तक पछताना?
अपने साहस पर तू कर ले आस,
अपनी राह पर खुद कर ले प्रकाश,
नित अपनी मेहनत का खाया कर,
जीवन की सही राह अपनाया कर,
पराई आस पर जी रहा, कोई कहेगा नहीं,
दूसरों का सहारा ले रहा, किसी से सुनेगा नहीं,
देख रहा हाथ पराए, कोई कहेगा नहीं,
राह भटक गया, किसी से सुनेगा नहीं,
निराशा ले जीत, तेरे साहस का है काम,
मेहनत कर, फल देना ईश्वर का है काम,
शेर छोड़े जूठन, खाना गीदड़ों का है काम,
स्थित-प्रज्ञ बन जा, तेरी बुद्धि का है काम,


चेतन कौशल "नूरपुरी"

अभाव में

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दैनिक जागरण 3 दिसम्बर 2006 

गुण बिना, रूप सुन्दर करना है क्या?
विनम्रता बिना, ज्ञान गूढ़ करना है क्या?
सदुपयोग बिना, धन अपार करना है क्या?
साहस बिना, शस्त्र-अस्त्र अजेय करना है क्या?
भूख बिना, भोजन बलवर्धक करना है क्या?
होश बिना, साहस अदम्य करना है क्या?
परोपकार बिना, बलवान तन करना है क्या?
सेवा-त्याग बिना, बसेरा अपनों संग करना है क्या?


चेतन कौशल "नूरपुरी"

अखंड जोत जलाने दो

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दैनिक जागरण 25 मई 2006 

विद्या, संस्कृति, साहित्य सृजन करने का,
जीवन चुनौतियों का सामना करने का,
त्याग, भक्ति, सेवा, बलिदान करने का,
दिव्य शक्तियों का, सामर्थ्य का, योग्यता का,
बोध करवाता है, विद्यालय कर्तव्य परायणता का,
निष्पक्ष प्रकाशन, प्रसारण, प्रदर्शन करने वालो!
उच्च जीवन, परिवार, समाज का पोषण करने वालो!
ज्ञान-स्रोत हितैषी हैं वैदिक विद्या-मंदिर, उन्हें सक्रिय होने दो,
अखण्ड जोत जलाते हैं, उन्हें जोत से जोत जलाने दो,


चेतन कौशल "नूरपुरी"

अंतर दंद्व

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दैनिक जागरण  28 मार्च 2006 

क्या मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूं?
क्या मैं अपना भविष्य प्रकाशमय बना रहा हूं?
विद्यार्थी हूं,
मैं विद्या ग्रहण करता हूं क्या?
समय है अनमोल,
मैं विद्या-आचरण करता हूं क्या?
विद्यार्थी जीवन में सीखना और जानना,
क्या है निश्चय अपना?
क्या पूरा होगा?
जीवन का जो है निश्चित सपना,
क्या मैं समय का मोल जानता हूं?
क्या मैं समय का प्रभाव मानता हूं?


चेतन कौशल "नूरपुरी"

जो चाहो ले लो

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दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो
चाहो शूल, तो शूल मिलेंगे
चाहो फूल, तो फूल मिलेंगे
सूुई चुभाओ, तो शूल लगेंगे
फूल बांटो, तो हार पड़ेंगे
मुस्कुराहट छीनकर, शूल दर्द देता है
दर्द लेकर, फूल हंसी लौटा देता है
चाहो शूल, तुम शूल ले लो
चाहो फूल, तुम फूल ले लो
दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो


चेतन कौशल "नूरपुरी"
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