मानवता सेवा की गतिविधियाँ

श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ (page 61 of 67)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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प्रेम पुजारी

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दैनिक जागरण 2 मार्च 2007 

प्रेम पुजारी बढ़ता चल
सबका कष्ट हरता चल
कभी खो देना न ध्येय
किसी से खाना न भय
पानी है मंजिल आज नहीं तो कल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
सहारा मिले तो ले लेना तू
न मिले कदम बढ़ाना तू
निर्भय प्रतिपल आगे बढ़ता चल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
मंजिल सामने एक दिन आएगी
घड़ी इंतजार की खत्म हो जाएगी
सफलता मिलेगी आज नहीं तो कल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल


चेतन कौशल "नूरपुरी"

जिन्दगी की राह

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दैनिक जागरण 25 नवंबर 2006

अपने ही छूट जाते हैं बहुत दूर
छोटी सी जिन्दगी की लम्बी राह पर
सदा नहीं रहता साथ यहां स्वदेह का भी
बस पानी बुलबुला है सत्य की राह पर
साथ नहीं देता हर कोई हर कहीं
हर पल और हर डगर पर
राह में लगती हैं ठोकरें कदम कदम पर
चलना पड़ता है अकेला ही संभल कर
उठता नहीं गिर कर चलता नहीं जो संभल कर
कठिन राह अपनी आगे की समझ कर
गिर जाता है वह फिर अन्य कोई ठोकर खाकर
और कोसने लगता है भाग्य अपना खुद दुख पाकर


चेतन कौशल "नूरपुरी"

संघर्ष की जिंदगी

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दैनिक जागरण 18 नवंबर 2006


है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी
डगमगाना नहीं है प्रण से
विचलित नहीं होना है पथ से
आज का काम करना है आज
कल पर नहीं छोड़ना है आज
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी
जिंदगी अपनी है ही क्या
भयभीत रहे मंजिल मिलेगी क्या
सामना करना है जीवन संघर्ष से
जीवन संवारना है जीवन संघर्ष से
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी
आशीर्वाद बड़ों का लेकर साथ
हाथ छोेटों का भी थामकर हाथ
हर कदम बढ़ाना है मंजिल की ओर
पूर्व में देखो हो रही भोर
है यही तो जिंदगी संघर्ष की है जिंदगी


चेतन कौशल "नूरपुरी"

शिक्षा-दीक्षा

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दैनिक जागरण 18 नवंबर 2006

गधे सा बोझा उठाए हुए
देखो विद्यार्थी विद्यालय जाता है
किताबी ज्ञान है सारा थैले में
पढ़कर बाबू बन जाता है
हर साल बाबू ही बाबू बनते रहेंगे
अगर देश के नौजवान
खाद्यानों का काम चलेगा कैसे
मिलेंगे खेतों के कहां से किसान
मशीनों का चालक बनेगा कौन
कलाओं का विकास करेगा कौन
शिक्षा दीक्षा दी जाती है परिश्रम करने के लिए
सभ्यता संस्कृति सुरक्षित रखने के लिए
सन्मार्ग जो दिखा न सके वह ज्ञान है कैसा
परिश्रम से जो तुडव़ा दे नाता वह ज्ञान है कैसा
अमल हो न सके जिसका वह शिक्षा मिलती है कैसी
जिससे समाज सेवा हो न सके वह दीक्षा मिलती है कैसी


चेतन कौशल "नूरपुरी"

जय भारत के नौजवान

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दैनिक जागरण 29 सितम्बर 2006

जय भारत के नौजवान
आओ सब मिल कर अपना कर्तव्य निभाएं
करके काम कुछ जग हित खुशहाल कहाएं
रश्मी शीतल मिल कर नहाएं
देखे हमें सकल जहान
जय भारत के नौजवान
प्रतिज्ञा करके जहां भी ने सुखी बाप बनाया
शूलों से बिंध कर जो नहीं प्रण से डगमगाया
प्राण तज व्रतधारी ने सबको सच्चा मार्ग दिखाया
करके प्रण निभाए भारत की सन्तान
जय भारत के नौजवान
थे यहां वीर वीरों की यह धरती है
किससे तुम कम किससे तुम्हें भीति है
नित अज्ञान से टकराना तुम करना ज्ञान से प्रीति
बनना है तुम्हें भी महान
जय भारत के नौजवान


चेतन कौशल "नूरपुरी"

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