मानवता सेवा की गतिविधियाँ

श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ (page 62 of 67)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
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आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
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अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
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व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
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प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
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उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
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मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
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प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
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शिक्षा का विदेशीकरण

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दैनिक जागरण 24 सितम्बर 2006

स्वदेशी शिक्षा का विदेशीकरण करने वालो
स्वदेश की पहचान का अनादर करने वालो
विदेशी कोई अनजाना स्वदेश आ जाएगा
करके मीठी बातें तुमसे भेद सारे ले जाएगा
खुद तुम्हें घर से निकालेगा धक्के देकर
बन जाएगा वह स्वामी तुम्हारा सर्वस्व लेकर
तब बन जाओगे तुम उसके सामने क्या
फिर कर पाओगे तुम अपने लिए क्या


चेतन कौशल "नूरपुरी"

सत्य आचरण

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दैनिक जागरण 16 सितम्बर 2006

श्रेष्ठ साहित्य है कामधेनु
दूध सम मिलती है शक्ति
ज्ञानी की बात ही छोड़ो
मूर्ख भी करने लगता है भक्ति
सद्ग्रंथ खोलो पढ़ लो जरा
जीवन कल्याण हो जाएगा
सत्य आचरण करते चलो
जमाना सत्युग हो जाएगा


चेतन कौशल "नूरपुरी"

धरती मां

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दैनिक जागरण 15 जुलाई 2006

धरती मां धरती मां
तू है सबकी पालक पोषक धरती मां
सर्दी गर्मी वर्षा सब सहती जाती
मीठे कन्दमूल वनस्पति उपजाती
फूलफल अन्न दालें खिलाती
देकर सकल पदार्थ घर बाहर भरती मां
धरती मां धरती मां
तू है सबकी पालक पोषक धरती मां
ऊंचे पहाड़ों से बनी तेरी छाती है
वन्य सम्पदा की तू ओढ़े साड़ी है
कल कल करते झरने तेरे दूध के धारे हैं
लहराती फसलें प्राणी पोशण करती मां
धरती मां धरती मां
तू है सबकी पालक पोशक धरती मां
नहीं दुर्योधन दुशासन तेरी इज्जत लूट हैं सकते
हर समय यहां रक्षा तेरी कृष्ण मुरारी हैं करते
पूत कपूत हो जाता माता नहीं कुमाता होती है
तू सबके सिर आंचल की ठण्डी छाया करती मां
धरती मां धरती मां
तू है सबकी पालक पोषक धरती मां


चेतन कौशल "नूरपुरी"

प्रेरणा से

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दैनिक जागरण 8 जुलाई 2006

मन की इच्छाएं बढ़ती जा रहीं
बुद्धि निर्णय लेने में हो गई असमर्थ
इद्रियां पथभ्रष्ट होती जा रही
हृदय विशालता का नहीं कोई रहा अर्थ
समाज बंट गया धर्म जाति वर्ग वादविवादों में
घिर गया ऊंचनीच भेदभाव की दीवारों में
विकासशील जीवन यात्रा तोड़ रही दम
विकृत समाज व्यथा हो रही न कम
हे विचारशील स्थिर मन और इद्रिय बलवान
ठोस पत्थर नींव समाज के तू है आत्मा महान
फिर कर ऐसी सभ्यता कला संस्कृति का निर्माण
प्रेरणा तेरी से हो जाए जन समुदाए का कल्याण


चेतन कौशल "नूरपुरी"

ज्ञान और शक्ति

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दैनिक जागरण 21 जून 2006

है बिन ज्ञान के शक्ति अंधी
समस्याएं करती है जटिल पैदा
शक्ति बिना है ज्ञान अपाहिज
कुछ ही होता है मुश्किल पैदा
ज्ञान और शक्ति मिलाकर
जब किया जाता है काम
सफलता की जय होती है
कर्ता को भी मिलता है इनाम
धार चढ़ी नहीं जिस तलवार
वह है तलवार कह सकता है कौन
शक्ति लिए अपार व साथ अज्ञान भी
मनवा सफलता पा सकता है कौन


चेतन कौशल "नूरपुरी"
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